Bhoomi Ka Seemankan, Nap Ya Demarcation OF Land सीमांकन क्या होता है ?

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Bhoomi Ka Seemankan, Nap Ya Demarcation  सीमांकन क्या होता है ?

    eBhulekhGyan के अनुसार किसी भूमि का सीमांकन या Demarcation Of Land भूमि के मालिक के अधिकार की गारंटी देने के लिए किया जाता है। यह मालिक के अधिकार के तहत क्षेत्र के वास्तविक सीमा को स्थापित करता है सीमांकित सीमाओं के संरक्षण को सुनिश्चित करना और आक्रमणकारियों को दूर रखना।

कृषि भूमि को मापने और सीमा तय करने की कानूनी प्रक्रिया क्या है

कृषि सीमांकन की प्रक्रिया आजकल सरल है अपने क्षेत्र के तहसीलदार कार्यालय में जाएँ एवं लोकसेवा केंद्र में संपर्क करे कृपया निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

किसी भी टाइपराइटर या फोटोस्टेट की दुकान में जाकर आवेदक या मालिक का नाम पता भूमि का पता / नक्शा और सीमांकन आवेदन फार्म जैसे आवश्यक विवरण प्रदान करके आपके लिए सीमांकन के लिए एक आवेदन करने को कहें। अपने खेत के पडोसी (उत्तर दक्षिण पश्चिम पूर्व की ओर स्थित संपत्तियों) की जानकारी दे भी आवश्यक दस्तावेजों खसरा की नक़ल और सीमांकन की शासकीय शुल्क जो निर्धारित हो चालान के रूप में के साथ अपना आवेदन जमा करें ताकी आपके खेत की चारो सीमओं का हवाला दिया जा सके 

स्थानीय आरआई (राजस्व निरीक्षक) कार्यालय को नोटिस भेजा जाता है जो आप सीमांकन के लिए आवेदन कर रहे हैं। एक बार यह सत्यापित हो जाने के बाद स्थानीय आरआई आपके आवेदन की पुष्टि करने के लिए आपके मोबाइल नंबर या आपके डाक पते पर आपसे संपर्क करता है। इसकी पुष्टि होने के बाद एक पटवारी / अमीन को स्थानीय आरआई कार्यालय से एक विशिष्ट तिथि पर अपनी भूमि का सीमांकन करने के लिए सौंपा जाता है जब पटवारी / अमीन और आवेदक दोनों स्वतंत्र होते हैं। आवेदक एवं निकटवर्ती किसानो को लिखित में सूचना जरी करते है िशेष दिन पर पटवारी / अमीन इलाके के नक्शे के साथ आएंगे और उपकरणों और उपायों के साथ वह भूमि का सीमांकन करेंगे। सीमा के साथ-साथ रेखा खींचने और एक अस्थायी सीमा का निर्माण करने के लिए चूना पत्थर पाउडर रखने की सिफारिश की जाती है i आम तौर पर आवेदन जमा करने के समय से महीने का समय लगता है और हसीलदार कार्यालय के बाद लगातार दस्तावेज़ प्रसंस्करण की गति को बढ़ावा मिल सकता है। मुझे आशा है कि यह भारत में सीमांकन की प्रक्रिया को समझने में आपकी और दूसरों की मदद करता है।

आजकल सीमांकन की प्रक्रिया लोकसेवा गारंटी अधिनियम में है आवेदन कार्यवाही समय सीमा में होती है यदि आपके दस्तावेब पूर्ण है i

सीमांकन यंत्र -

सीमांकन मुख्यता दो प्रकार से होता है - 

जरीब द्वारा

जैसा की आप सभी जानते है की यह खेत नापने और सीमांकन की पुरानी प्रक्रिया है I यह लोहे की एक जंजीर होती है जो छोटी छोटी कडीयो से बनी होती है जरीब से सम्बंधित कुछ तथ्य -

1 JAREEB = 100 KADI 

1 JAREEB = 66 FUT = 20 METER 

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जरीब से सीमांकन करते वक्त इसमें लगे हुए 10-10 कड़ी पर पॉइंट देखने होते है उदाहरण के लिए किसी खेत की मेड 2 जरीब 25 कड़ी है तो इसका मतलब है 2 जरीब पूरी होने के बाद हम 25 कड़ी गिनते है

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क्या आप जानते है की 1 हेक्टर में 100 आरे होते है और 2.5 एकड़ होते है I यदि किसी जरीब में 5 जरीब लम्बाई और 5 जरीब चोडाई हो जाती है तो यह रकबा पूरा हो जाता है I

 जरीब सीमांकन में कई कमिया है जैसे 
  • ऊंची नीची जमीन में सीमांकन सही नहीं हो पता
  • वर्षात के महीने में सीमांकन नहीं कर सकते
  • माप में सटीक आंकड़े न मिल पाने से विवाद की स्थिति बनती है

ई.टी.एस . मशीन द्वारा -

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यह एक Electronic मशीन है जिससे जरीब की कमियों को दूर कर सीमांकन किये जायेंगे जो कही कही पूर्णता लागू हो चुकी है - 
 
 इंची टेप द्वारा - 
 
  इसका प्रयोग सामान्यता छोटी नाप जैसे प्लॉट्स वगैरह के लिए किया जाता है I
 
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सीमांकन से लाभ

    बंटवारा, खरीद-फरोख्त, या किसी दूसरे व्यक्ति के अतिक्रमण करने की स्थिति में सीमांकन किया जाता  है। सीमांकन में संबंधित व्यक्ति की भूमि सरकारी तौर पर चिन्हित की जाती है। इस नाप के आधार पर ही नामांतरण किया जाता है। सीमाकन के बाद इन सभी राजस्व कार्यो में कोई विवाद नहीं होता है साथ ही सीमांकन से सीमाए निश्चित कर उसमे फेंसिंग करा लेने से सीमावर्ती किसानो के विवाद ख़त्म हो जाते है I

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