नामांतरण Namantaran क्या है Mutation Of Land ?

 

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नामांतरण Namantaran क्या है Mutation Of Land ?

    जब भी कोई किसान या व्यक्ति कोई भूमि खरीदता है या बेंचता है या किसी प्रोपर्टी या संपत्ति  का स्वामी या मालिक की म्रत्यु हो जाती है तो उस भूमि या संपत्ति के अधिकारों को पंजीकृत किया जाता है जिसे राजस्व अभिलेखों में शाशकीय रूप में दर्ज किया जाता है जिसे नामांतरण कहते है . सामान्यता इसे नामांकरन या दाखिल ख़ारिज भी कहा जाता है .

नामांतरण की आवश्यकता क्या है ?

    जैसा की हम जानते है की भूमि या संपत्ति सम्बन्धी अभिलेख जैसे खसरा खतोनी ऋण पुस्तिका ये सभी दस्तावेज राजस्व अभिलेख कहलाते है इन्ही में हमारे स्वामित्व सम्बंधित प्रविष्टी रहती है जो यह प्रमाणित करती है की हमारे पास कितनी भूमि है और वह कहा कहा है  और किसी भी शासकीय योजना या बैंक सम्बन्धी लाभ लेने के लिए इनकी आवश्यकता पड़ती है या जब हमें इनका क्रय विक्रय करना होता है I

    अब सोचे अगर कोई व्यक्ति ( माना मोहन) ने किसी जगह 2 एकड़ भूमि किसी व्यक्ति  (किशोर) से क्रय की और क्रय करने के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय की रजिस्ट्री अपने पास रखकर चुपचाप बैठ गया अब यदि आगे भविष्य में उसे उस भूमि का कुछ हिस्सा बेंचना पड़ गया या किसी योजना का लाभ लेना पड़ा या जिसके नाम से भूमि क्रय की थी और उसकी म्रत्यु हो जाये और उसके परिवार को पैसो की जरुरत पड़ने से वह भूमि बेंचने की आवश्यकता हो तो क्या होगा i

    यदि आपको उस भूमि में कोई दूसरा उद्योग लगाना है या मकान बनाना है तो आपको उस भूमि का diversion कराना होगा किन्तु उसके पहले वह भूमि आपके नाम पर होनी चाहिए I  

    इन सभी जरूरतों में उस क्रय की गई भूमि का कोई उपयोग नहीं हो सकता क्योंकि उस व्यक्ति मोहन ने जो 2 एकड़ भूमि ली थी रजिस्ट्री करने बाद नामांतरण नहीं कराया था इसलिए राजस्व अभिलेख में आज भी वह भूमि किशोर के नाम से है I

    स्पस्ट है की पजीकृत विलेख हो जाने के बाद से जब तक राजस्व न्यायालय से उस भूमि का दाखिल ख़ारिज नहीं हो जाता तब तक उस भूमि के अधिकृत स्वामी आप नहीं हो सकते और न ही आपका नाम अभिलेख जैसे खसरा खतोनी एवं ऋण पुस्तिका में आपका नाम नहीं हो सकता I

उम्मीद है नामांतरण की आवश्यकता समझ में आ गई होगी I

नामांतरण के प्रकार

नामांतरण कई प्रकार के होते है जैसे -

  • क्रय विक्रय
  • फोती नामांतरण
  • वसीयत
  • हक़ त्याग
  • न्यायलय की डिक्री के आधार पर
  • नाबालिक से बलिक होने पर 

नामांतरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

    आजकल यह प्रक्रिया ऑनलाइन होती है इसलिए ऑनलाइन कार्य हेतु सिर्फ आवेदक का आवेदन, जिस आधार पर नामांतरण किया जाना है उसकी एक प्रति , खसरा – खतोनी , आधार कार्ड और यदि फोती नामांतरण है तो मृत व्यक्ति का म्रत्यु प्रमाण पत्र एवं मृतक के वारिसों का सिजरा पत्र I

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कहा से होता है नामांतरण

     पहले के समय में यह एक जटिल प्रक्रिया थी क्योकि यह सारा कार्य राजस्व न्यायलय में ऑफलाइन होता था यानि आवेदक को इसके लिए महीनो चक्कर लगाने पड़ते थे किन्तु आज के समय में E GOVERNENCE  एवं DIGITAL INDIA का समय है सब कुछ ऑनलाइन है I शासन की ऑनलाइन सेवा जैसे LOKSEVA KENDRA, RCMS, MPONLINE  आदि से सीधे आवेदन किया जा सकता है एवं उसकी पावती प्राप्त कर निर्धारित तिथि को उपस्थित होकर अपने मूल दस्तावेज तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत करे I

    अभी तो नई सुविधा आने वाली है आपने उपपंजीयक कार्यालय से रजिस्ट्री होने के बाद वह सीधे ही तहसीलदार की आई डी में ट्रान्सफर हो जाती है एवं आवेदक को पेशी की दिनांक दी जाती है जिसमे उसे दस्तावेज के साथ उपस्थित होना पड़ता है I

    यदि आपकी संपत्ति लीगल है , किसी प्रकार के शासकीय नियमो का उल्लान्घन नहीं है तो आपका नामांतरण कर दिया जायेगा I

नामांतरण के बाद की प्रक्रिया

    भूमि या सम्पन्ति का नामांतरण हो जाने के बाद आपके राजस्व रिकॉर्ड जैसे खसरा , खतोनी एवं ऋण पुस्तिका को भी दुरुस्त करना होता है I इसमें राजस्व न्यायलय से नामांतरण का आदेश हो जाने के बाद न्यायलय द्वारा ही कंप्यूटर खसरा व खतोनी में रिकॉर्ड फीड किया जाता है I एवं ऋण पुस्तिका हेतु शाशकीय शुल्क चालान के रूप में जमा करना होती है I

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